शिवराज-खट्टर समेत 6 चेहरे भाजपा अध्यक्ष की रेस में:संगठनात्मक अनुभव के साथ जातीय-क्षेत्रीय समीकरण देखे जा रहे; केंद्रीय चुनाव समिति का गठन जल्द

भाजपा जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, भाजपा नए अध्यक्ष के लिए 6 नामों पर विचार कर रही है, इनमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं। वहीं, भाजपा महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े भी रेस में बताए जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए तीन मुख्य बातों-संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण को ध्यान में रख रही हैं। जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक केंद्रीय चुनाव समिति का गठन हो सकता है। यदि चुनाव की जरूरत पड़ती है तो यह समिति नामांकन, जांच और मतदान की प्रक्रिया की पूरी करेगी। बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा का कार्यकाल जून 2024 को खत्म हो है। वह एक्सटेंशन पर हैं। वहीं, वह केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं, इस वजह से भाजपा जल्द नया अध्यक्ष चुनने की तैयारी में जुटी है। भाजपा के 37 में से 26 प्रदेश अध्यक्ष चुने गए पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 50% राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनने के बाद ही होता है। फिलहाल भाजपा की 37 मान्यता प्राप्त स्टेट यूनिट हैं। इनमें से 26 राज्यों में अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। भाजपा ने जुलाई के शुरुआत 2 दिन में 9 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष चुने। इसके बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। पार्टी ने 1-2 जुलाई को 9 राज्यों (हिमाचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन दीव और लद्दाख) में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव किया। नए बीजेपी अध्यक्ष के सामने होंगे 12 अहम चुनाव पार्टी के नियम के अनुसार बीजेपी अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है। एक व्यक्ति 2 बार से अधिक पार्टी का अध्यक्ष नहीं बन सकता। ऐसे में अब पार्टी के नए अध्यक्ष को 12 अहम चुनाव अपने कार्यकाल में कराने होंगे। ये 4 चेहरे पहले से मुख्य दावेदार कहे जा रहे 1. शिवराज सिंह चौहान RSS की पहली पसंद, पॉपुलर और मास लीडर शिवराज सिंह चौहान 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। चार बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए लाडली बहना योजना शुरू की, जो विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई। ये योजना दूसरे राज्यों के लिए रोल मॉडल बन गई। विपक्षी पार्टियों भी इसे कॉपी कर रही हैं। शिवराज 13 साल की उम्र में RSS से जुड़ गए थे। इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए। OBC कैटेगरी से हैं। 2005 में मध्य प्रदेश BJP के अध्यक्ष रहे हैं। सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप सिंह कहते हैं कि अगर RSS की चली, तो शिवराज BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं। उनके नाम पर मोदी-शाह के पास कोई नेगेटिव पॉइंट नहीं है। हालांकि, दोनों की लिस्ट में शिवराज का नाम धर्मेंद्र प्रधान के बाद दूसरे नंबर पर है। RSS की लिस्ट में शिवराज सबसे ऊपर हैं। प्लस पॉइंट: सरकार और संगठन चलाने का लंबा अनुभव है। पॉपुलर और मास लीडर हैं। माइनस पॉइंट: कोई नहीं 2. मनोहर लाल खट्टर PM मोदी और RSS को पसंद, शाह की लिस्ट से गायब हरियाणा के पूर्व CM और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर PM नरेंद्र मोदी के पुराने साथी हैं। उनकी दोस्ती 90 के दशक से है, जब दोनों किसी पद पर नहीं थे। खट्टर की छवि जमीनी नेता की है। हालांकि, हरियाणा में उनके खिलाफ नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्हें हटाकर नायब सिंह सैनी को CM बनाना पड़ा। हरियाणा में CM पद से हटाए जाने के बाद मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वे अभी करनाल सीट से सांसद हैं। RSS में खट्टर की छवि मेहनती और ईमानदार नेता की है। खट्टर BJP जॉइन करने से 17 साल पहले RSS से जुड़ गए थे। 1977 में उन्होंने RSS जॉइन किया और तीन साल बाद पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। 1994 में BJP जॉइन की। खट्टर को BJP का अध्यक्ष बनाने पर RSS भी राजी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह उनके नाम पर राजी नहीं हैं। मोदी-RSS की हां के बाद अमित शाह का राजीनामा ही खट्टर को अध्यक्ष पद तक पहुंचा सकता है। प्लस पॉइंट: RSS का बैकग्राउंड, PM मोदी के करीबी, ईमानदार नेता की छवि। माइनस पॉइंट: हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले CM पद से हटाया गया। वहां खट्टर के नाम पर लोगों में नाराजगी थी। आखिर में उन्हें मंच और पोस्टर से भी हटा दिया गया। 3. धर्मेंद्र प्रधान RSS-BJP के साइलेंट वॉरियर, संगठन में कोई विरोधी नहीं मौजूदा एजुकेशन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा से आते हैं। सरकार और संगठन दोनों में पसंद किए जाते हैं। ABVP से पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले प्रधान 2010 में BJP के राष्ट्रीय महासचिव बने। दो बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस्पात, पेट्रोलियम और कौशल विकास मंत्री रह चुके हैं। अभी संबलपुर सीट से सांसद हैं। 2022 में UP विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने 8 मंत्रियों की टीम बनाई थी। इसे धर्मेंद्र प्रधान ने ही लीड किया था। चुनाव में BJP ने 255 सीटें जीती थीं। प्रधान की इमेज संगठन और पार्टी के बीच साइलेंट वॉरियर की है। ताजा उदाहरण हरियाणा का विधानसभा चुनाव है। यहां धर्मेंद्र प्रधान ने राज्य प्रभारी बिप्लव देब के साथ मिलकर विपक्ष के नैरेटिव को पहचाना और उसके सामने एंटी नैरेटिव गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। जहां BJP के हारने की बातें हो रही थीं, वहां पार्टी बहुमत से सरकार बनाई। इस जीत पर PM मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ RSS ने भी धर्मेंद्र प्रधान की पीठ थपथपाई थी। इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने 2017 में उत्तराखंड में मोर्चा संभाला था। ओडिशा में उन्होंने लगातार 5 साल काम किया और पहली बार BJP की सरकार बनवाई। धर्मेंद्र प्रधान की बड़ी उपलब्धियों में 2021 का पश्चिम बंगाल चुनाव भी है। प्रधान को नंदीग्राम सीट की जिम्मेदारी दी गई थी। CM ममता बनर्जी यहां से चुनाव लड़ रही थीं। पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी ने 213 सीटें जीतीं, लेकिन ममता नंदीग्राम नहीं बचा पाईं। BJP कैंडिडेट शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें 1956 वोट से हरा दिया। ममता की हार का क्रेडिट भी धर्मेंद्र प्रधान को मिला। हरियाणा में BJP से जुड़े हमारे एक सोर्स के मुताबिक, प्रधान की सबसे बड़ी काबिलियत चुनाव के नैरेटिव को समझना और उसके खिलाफ दूसरा नैरेटिव खड़ा करना है। वे ग्राउंड पर पकड़ रखते हैं। उससे भी बड़ी खासियत ये है कि वो ये सब कुछ इतना चुपचाप करते हैं कि विपक्ष को भनक तक नहीं लगती।’ ‘हरियाणा में प्रधान ने वोटिंग से एक महीने पहले ग्राउंड का फीडबैक आलाकमान को देना शुरू किया। उसी हिसाब से आगे की स्ट्रैटजी बनाई गई।’ धर्मेंद्र प्रधान जितने BJP में पसंद किए जाते हैं, उतने ही RSS के करीब हैं। संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ है। पार्टी और RSS दोनों की लीडरशिप में प्रधान को लेकर कोई नेगेटिव राय नहीं है। प्लस पॉइंट: RSS को एतराज नहीं। लीडरशिप के करीब हैं। पार्टी या संगठन में कोई विरोधी नहीं है। माइनस पॉइंट: कोई नहीं 4. सुनील बंसल- UP में BJP को जितवाया, अमित शाह के करीबी राजस्थान से आने वाले सुनील बंसल अभी ओडिशा, बंगाल और तेलंगाना के प्रभारी हैं। UP में BJP की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई। इस वजह से नेशनल लेवल पर जगह मिली। लोकसभा चुनाव के दौरान भी बंसल प्लानिंग और एक्जीक्यूशन का हिस्सा थे। सुनील बंसल ने ABVP से पॉलिटिकल करियर शुरू किया था। 1989 में राजस्थान यूनिवर्सिटी के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। इसके बाद RSS से जुड़ गए। 1990 में RSS प्रचारक के तौर पर काम शुरू किया। इसके बाद BJP जॉइन कर एक्टिव पॉलिटिक्स में आ गए। RSS ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बंसल को UP में उतारा। उन्हें UP का को-इंचार्ज बनाया गया। तब अमित शाह UP के इंचार्ज थे। सुनील बंसल ने अमित शाह के साथ मिलकर पन्ना प्रमुख की रणनीति को जमीन पर उतारा। BJP ने इस चुनाव में 71 सीटें जीतीं। इसके बाद पार्टी ने बंसल को UP का संगठन मंत्री बना दिया। 8 साल तक इस पद पर रहे। 2022 में लगातार दूसरी बार BJP की सरकार बनवाई। योगी सरकार की वापसी के बाद सुनील बंसल को BJP का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया। प्लस पॉइंट: RSS का बैकग्राउंड। संगठन और पार्टी पर पकड़। अमित शाह से करीबी उनकी दावेदारी पर मुहर लगा सकती है। माइनस पॉइंट: कोई नहीं ———————————— ये खबर भी पढ़ें… BJP अध्यक्ष की रेस में शिवराज, खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान, साउथ से बीएल संतोष दावेदार, डी. पुरंदेश्वरी लिस्ट में इकलौती महिला BJP और RSS बीते कुछ महीनों से BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। लिस्ट तैयार है, बस किसी एक नाम पर सहमति बनाने और अनाउंसमेंट की देर है। माना जा रहा है कि 10 से 20 मार्च के बीच अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाएगा। पूरी खबर पढ़ें…

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