मराठा काल के 12 किलों को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है। इनमें महाराष्ट्र के 11 किले हैं। वहीं, तमिलनाडु का एक जिंजी किला भी सूची का हिस्सा है। सभी किले 17वीं से 19वीं सदी के बीच बने थे। महाराष्ट्र के 11 किलों में सिंधु और शिवनेरी जैसी किले शामिल हैं। रायगढ़ दुर्ग जहां छत्रपति शिवाजी का राजतिलक हुआ था, भी इस सूची में है। इसके अलावा सालहेर, लोहगढ़, खंडेरी, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजय दुर्ग किले शामिल हैं। पेरिस में यूनेस्को की 47वीं बैठक में इस लिस्ट का ऐलान किया गया। इससे मराठा इतिहास और विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। अब भारत की कुल 44 धरोहर वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल हो गई हैं। वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किलों की तस्वीरें… 1. सालहेर किला सालहेर किला महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में बसा हुआ है और समुद्र तल से करीब 5,156 फीट की ऊंचाई पर है। यह महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा किला और भारत का दूसरा सबसे ऊंचा किला माना जाता है। किले तक पहुंचने के लिए ट्रेक करना पड़ता है। रास्ता पहाड़ी और कठिन जरूर है, लेकिन रास्ते में दिखने वाले झरने, घाटियां और हरियाली इसे रोमांचक बनाते हैं। किले के ऊपर से आसपास का नजारा बेहद सुंदर दिखाई देता है। 2. शिवनेरी किला शिवनेरी किला महाराष्ट्र के पुणे जिले के जुन्नर शहर के पास स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक किला है। यह किला खासतौर पर इसलिए मशहूर है क्योंकि यहीं पर छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। किले में शिवाई देवी का मंदिर भी है, जिनके नाम पर शिवाजी महाराज का नाम रखा गया था। किले तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है। अंदर जाने के सात दरवाजे हैं, जिनमें से हर एक दरवाजे का अपना नाम और महत्व है। किले के अंदर पानी के तालाब, सैनिकों के रहने के स्थान और शिवाजी महाराज के जन्मस्थान को आज भी देखा जा सकता है। 3. लोहगढ़ किला लोहगढ़ किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक किला है। यह किला लोनावला के पास सह्याद्री पर्वत की एक पहाड़ी पर बना है और समुद्र तल से करीब 3,400 फीट की ऊंचाई पर है। “लोहगढ़” का मतलब है “लोहे जैसा मजबूत किला”, और यह नाम इस किले की मजबूती को दर्शाता है। इस किले का इतिहास कई राजवंशों से जुड़ा है, लेकिन इसे सबसे अधिक प्रसिद्धि मिली जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसे 1648 में अपने नियंत्रण में लिया। यह किला लंबे समय तक मराठा साम्राज्य की रक्षा में अहम भूमिका निभाता रहा। 4. खंडेरी किला खंडेरी किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में, अलीबाग के पास समुद्र के बीच एक द्वीप पर स्थित है। यह किला अरब सागर में स्थित है और मुख्य भूमि से करीब 5 किलोमीटर दूर है। इसे 1660 में शिवाजी महाराज के आदेश पर बनवाया गया था, ताकि मुंबई और आसपास के समुद्री रास्तों पर मराठों का नियंत्रण बना रहे। खंडेरी किले का मुख्य उद्देश्य समुद्री आक्रमणों से सुरक्षा करना और नौसेना की ताकत बढ़ाना था। यह किला अंग्रेजों और पुर्तगालियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया था, क्योंकि इससे मराठा नौसेना को मजबूती मिली थी। आगे चलकर इस किले का नाम कान्होजी आंग्रे, जो मराठा नौसेना के प्रमुख थे, से भी जुड़ता है। आज खंडेरी किला एक मशहूर पर्यटन स्थल है। नाव के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है। यह किला न केवल मराठा साम्राज्य की समुद्री शक्ति का प्रतीक है, बल्कि इतिहास और रोमांच पसंद करने वालों के लिए एक आकर्षक जगह भी है। 5. रायगढ़ किला रायगढ़ किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और भव्य किला है। यह किला समुद्र तल से करीब 2,700 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी था और यहीं पर उन्हें 1674 में मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित किया गया था। रायगढ़ किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन शिवाजी महाराज ने इसे मराठा साम्राज्य की राजधानी बनाकर ऐतिहासिक महत्व प्रदान किया। इस किले में राजमहल, बाजार पेठ, न्यायसभा और शिवाजी महाराज की समाधि स्थित है। पास में ही उनके वफादार कुत्ते की भी समाधि बनी हुई है। 6. राजगढ़ किला राजगढ़ किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक किला है। यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से करीब 4,350 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह किला कभी छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी रहा था। राजगढ़ किले का पुराना नाम मुरुंबदेव था, लेकिन जब शिवाजी महाराज ने इसे मराठा साम्राज्य की राजधानी बनाया, तब इसका नाम राजगढ़ पड़ा। यह किला अपनी मजबूत बनावट, रणनीतिक स्थिति और विशाल परिसर के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई दरवाजे, गुफाएं, पानी की टंकियां और महलों के अवशेष देखे जा सकते हैं। यह किला न सिर्फ युद्धों के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि यहां शिवाजी महाराज की पत्नी सायबाई का निधन भी हुआ था और उनका अंतिम संस्कार भी यहीं किया गया था। 7. प्रतापगढ़ किला प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के सतारा जिले में महाबलेश्वर के पास स्थित है। यह किला समुद्र तल से लगभग 3,500 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर बना हुआ है। प्रतापगढ़ किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1656 में करवाया था ताकि आसपास के क्षेत्र पर नियंत्रण रखा जा सके और दुश्मनों से सुरक्षा मिल सके। यह किला सबसे ज्यादा 1659 में अफजल खान के साथ हुए युद्ध के लिए जाना जाता है। शिवाजी महाराज ने इसी किले के पास अफजल खान को पराजित किया था, जो मराठा इतिहास की एक बहुत बड़ी जीत थी। इस घटना की याद में किले के पास शिवाजी महाराज और अफजल खान की मूर्तियां भी लगाई गई हैं। किले में देवी भवानी का एक प्राचीन मंदिर भी है, जहां शिवाजी महाराज ने तलवार प्राप्त की थी। 8. सुवर्णदुर्ग सुवर्णदुर्ग महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में दापोली के पास, हरिहरेश्वर और हर्णे के बीच समुद्र में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला अरब सागर में एक छोटे से द्वीप पर बना हुआ है और किनारे से नाव के जरिए पहुँचा जा सकता है। सुवर्णदुर्ग का निर्माण 16वीं शताब्दी में आदिलशाही राजवंश के समय हुआ था, लेकिन इसे असली पहचान छत्रपति शिवाजी महाराज के काल में मिली। शिवाजी महाराज ने इस किले को मराठा नौसेना की शक्ति बढ़ाने के लिए अपने नियंत्रण में लिया। बाद में यह किला कान्होजी आंग्रे के अधीन रहा, जो मराठा नौसेना के वीर सेनापति थे। सुवर्णदुर्ग नाम का अर्थ है “सोने जैसा किला”, जो इसकी मजबूती और गौरव को दर्शाता है। किले की मोटी दीवारें, प्राचीन तोपें और समुद्री सुरक्षा व्यवस्था इसे खास बनाती हैं। यह किला दुश्मनों के समुद्री हमलों को रोकने के लिए एक रणनीतिक स्थान पर बनाया गया था। 9. पन्हाला किला पन्हाला किला महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित एक विशाल और ऐतिहासिक किला है। यह किला समुद्र तल से लगभग 3,200 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है और सह्याद्री की पहाड़ियों में फैला हुआ है। पन्हाला किला रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था और कई राजवंशों का गढ़ रहा है। इस किले का सबसे गहरा संबंध छत्रपति शिवाजी महाराज से है। उन्होंने इस किले को 1659 में आदिलशाही से जीत लिया था और यहीं से अपने कई युद्धों की योजना बनाई थी। किले का निर्माण इस तरह किया गया था कि वह लंबे समय तक घेराबंदी झेल सके। 10. विजय दुर्ग विजयदुर्ग किला महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में मालवण के पास स्थित है। यह किला अरब सागर के किनारे एक चट्टान पर बना हुआ है और पश्चिमी भारत के सबसे मजबूत समुद्री किलों में से एक माना जाता है। विजयदुर्ग किले का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा भोज ने करवाया था, लेकिन इसे मजबूती और पहचान छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन में मिली। उन्होंने इस किले को मराठा नौसेना का प्रमुख केंद्र बनाया और इसे दुश्मनों से बचाने के लिए मजबूत दीवारों और सुरंगों से सुरक्षित किया। विजयदुर्ग किला आज इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां से समुद्र का शानदार दृश्य दिखाई देता है। यह किला मराठा साम्राज्य की नौसेना शक्ति, वीरता और रणनीति का प्रतीक है। 11. सिंधुदुर्ग सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में मालवण के पास, अरब सागर के बीच एक छोटे द्वीप पर स्थित है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1664 में बनवाया था ताकि मराठा साम्राज्य की समुद्री सीमाओं की रक्षा की जा सके। इस किले का निर्माण तीन साल में हुआ और इसमें करीब 100 किलो मीटर दूर से लाया गया खास पत्थर इस्तेमाल किया गया था। किले की दीवारें करीब 30 फीट ऊंची और बेहद मोटी हैं, जो इसे दुश्मनों के हमले से सुरक्षित बनाती थीं। किले के अंदर कई कुएं, मंदिर और रिहायशी क्षेत्र हैं। खास बात यह है कि यहां शिवाजी महाराज के हाथों के निशान एक पत्थर पर सुरक्षित हैं। 12. जिंजी किला जिंजी किला तमिलनाडु के विलुप्पुरम जिले में स्थित एक प्राचीन किला है। यह किला तीन पहाड़ियों राजगिरी, कृष्णगिरी और चंद्रयानदुर्ग पर फैला हुआ है और इसे “दक्षिण भारत का सबसे मजबूत किला” माना जाता है। इस किले का निर्माण 9वीं शताब्दी में चोल राजाओं ने शुरू किया था, लेकिन इसे 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच कई राजवंशों ने इस्तेमाल और मजबूत किया। बाद में यह किला मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के अधीन भी रहा। 1690 में उन्होंने इसे मुगलों से बचाने के लिए अपने नियंत्रण में लिया। जिंजी किला करीब 7 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊँची दीवारें, गुप्त सुरंगें, मंदिर, जलाशय और तोपों के स्थान आज भी देखे जा सकते हैं। किले की बनावट ऐसी है कि दुश्मनों के लिए इसे जीतना बहुत मुश्किल था। 3 महीने में दूसरी बार यूनेस्को की लिस्ट में भारत का नाम पिछले तीन महीनों में यह दूसरा मौका है जब यूनेस्को की किसी लिस्ट में भारत का नाम शामिल हुआ है। 18 अप्रैल को श्रीमद् भगवत गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को UNESCO ने अपने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया था। 1992 में शुरू हुआ था मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर एक अंतरराष्ट्रीय पहल है, जिसे यूनेस्को (UNESCO) ने 1992 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य विश्व के महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासतों को पहचान देना, उसे संरक्षित करना और लोगों की पहुंच में लाना है। यह एक अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर है जिसमें विश्वभर के ऐतिहासिक दस्तावेज, पांडुलिपियां, दुर्लभ पुस्तकें, चित्र, फिल्में, ऑडियो रिकॉर्डिंग, आदि को शामिल किया जाता है, जिनका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या सामाजिक महत्व होता है। 2024 में शामिल हुई थी रामचरितमानस
2024 में, तीन भारतीय साहित्यिक कृतियों रामचरितमानस, पंचतंत्र, और सहृदय लोक-लोकन को ‘मैमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॅार एशिया एंड द पेसिफिक रीजन (MOWCAP)’ रजिस्टर में शामिल किया गया था। यह पहली बार है कि एक ही बार में भारत के तीन कृतियों को एक-साथ शामिल किया गया हो। ‘रामचरितमानस’ गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में अवधी भाषा में लिखी थी और इसे भारतीय साहित्य और हिन्दू धर्म की सर्वोत्तम कृतियों में से एक माना जाता है। वहीं पंडित विष्णु शर्मा की पंचतंत्र कहानियों का संकलन है।