भारतीय वायुसेना के सौतेली मां को पेंशन लाभ देने से इनकार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा- पेंशन योजनाओं में ‘मां’ और ‘जैविक मां’ में अंतर नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा- हर मामले को उसके विशिष्ट तथ्यों के आधार पर देखा जाना चाहिए और यह तय किया जाना चाहिए कि बच्चे के जीवन में मां की भूमिका वास्तव में किसने निभाई। मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने की। जस्टिस भुइयां ने कहा- पेंशन मामले में ‘मां का जैविक मां होना जरूरी नहीं है। साल 2010 में वायुसेना ने अपीलकर्ता का विशेष पारिवारिक पेंशन का दावा खारिज किया था। मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी। बेंच का वायुसेना से सवाल: अगर जन्म देने वाली मां ने बच्चे को छोड़ दिया और सालों तक दादी ने उसका पालन-पोषण किया, तो क्या बाद में लौटने पर जैविक मां को लाभ मिलेगा? वहीं, यदि सौतेली मां ने जन्म से ही बच्चे की देखभाल की हो, तो उसे लाभ क्यों न मिले? जवाब: मौजूदा नियमों (वायुसेना पेंशन नियम, 1961) में सौतेली मां को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है और इस मामले को पहले कभी चुनौती नहीं दी गई। एक्सपर्ट कमेंट: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता इस मामले का प्रभाव गुप्ता के मुताबिक, दत्तक पुत्र, लिव इन और दूसरी पत्नी के कानूनी अधिकारों के बारे में अनेक फैसले हैं। सौतेली मां को जैविक मां के समान कानूनी अधिकार देने से सरकार की अन्य पेंशन योजनाओं के दायरे का विस्तार हो सकता है, लेकिन इसके लिए संसद और सरकार को पेंशन के साथ पारिवारिक और उत्तराधिकार के कई कानूनों में बदलाव करना होगा। ……………………… सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला-ED ठगों की तरह काम नहीं कर सकती: कानून के दायरे में रहना होगा, 5 साल में 10% से कम मामलों में सजा सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सख्त लहजे में कहा कि वह ठग की तरह काम नहीं कर सकती। उसे कानून की सीमा में रहकर ही कार्रवाई करनी होगी। कोर्ट ने यह टिप्पणी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत ED को गिरफ्तारी की शक्ति देने वाले 2022 के फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। पूरी खबर पढ़ें…
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