सुप्रीम कोर्ट बोला- अलग रहना है तो शादी न करें:पति-पत्नी में झगड़े होते हैं, बच्चों की क्या गलती कि उनका घर टूट जाए

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एक शादीशुदा जोड़े में पति या पत्नी का अलग रहना नामुमकिन है। दोनों में से कोई भी यह नहीं कह सकता कि वे अपने पार्टनर से अलग रहना चाहते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि अगर कोई अलग रहना चाहता है तो उसे शादी नहीं करनी चाहिए। बेंच ने कहा- ‘शादी का क्या मतलब है, दो आत्माओं, दो लोगों का एक साथ आना। आप कैसे अलग रह सकते हैं? पति-पत्नी में कुछ न कुछ झगड़ा होता ही है।’ सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे जोड़े के मामले की सुनवाई कर रहा था जिनके दो छोटे बच्चे हैं और वे अलग रह रहे हैं। अब समझिए पूरा मामला क्या था…
सुप्रीम कोर्ट पति-पत्नी के विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुई महिला ने कहा कि ताली एक हाथ से ताली बजती। इस पर बेंच ने कहा कि हर पति-पत्नी के बीच कुछ न कुछ झगड़ा होता ही है। हम आप दोनों से कह रहे हैं। महिला ने दावा किया कि उसका पति सिंगापुर में रहता है और फिलहाल भारत में हैं। वह मामला सुलझाने को तैयार नहीं है। सिर्फ बच्चों की कस्टडी लेना चाहता है। इस पर कोर्ट ने हैदराबाद में रह रही महिला से पूछा कि आप सिंगापुर वापस क्यों नहीं जा सकतीं? महिला ने पति के व्यवहार को वजह बताया। उसने कहा सिंगल मदर होने की वजह से उसे नौकरी की जरूरत है क्योंकि पति से कोई खर्चा नहीं मिलता है। इस पर बेंच ने पति को 5 लाख रुपए जमा करने का निर्देश दिया। हालांकि, पत्नी ने कहा कि वह किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ‘आप ऐसा नहीं कह सकतीं। एक बार जब आप शादी कर लेते हैं, तो आप भावनात्मक या किसी और तरह से पति पर निर्भर होते हैं। आर्थिक रूप से भले ही न हों। आप यह नहीं कह सकतीं कि मैं किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती। तो फिर आपने शादी क्यों की? शायद मैं पुराने ख्यालों की हूं, लेकिन कोई भी पत्नी यह नहीं कह सकती कि मैं अपने पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती।’ इस पर पत्नी ने सोचने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने दोनों से कहा, ‘आप दोनों पढ़े-लिखे हैं। आपको इन चीजों को सुलझाना चाहिए।’ पहले कोर्ट बोला था- शादी विश्वास पर आधारित रिश्ता सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी तलाक और पति-पत्नी विवाद मामलों में कई अहम टिप्पणी कर चुका है। कोर्ट ने दिसंबर, 2024 को ऐसे ही एक मामले में कहा था- शादी का रिश्ता आपसी भरोसे, साथ और साझा अनुभवों पर टिका होता है। अगर ये चीजें लंबे समय तक नहीं हों तो शादी सिर्फ कागजों पर रह जाती है। कोर्ट ने कहा था कि शादी का उद्देश्य दोनों की खुशी और सम्मान है, न कि तनाव और विवाद। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए की, जिसमें 20 साल से अलग रह रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपती को तलाक देने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए पत्नी को 50 लाख रुपए एलीमनी देने का आदेश दिया था। इसके साथ ही बेटी की पढ़ाई और भविष्य के खर्चों के लिए भी 50 लाख रुपए देने को कहा। यह रकम पति को चार महीने के अंदर चुकानी होगी। पूरी खबर पढ़ें… ——————————————————— शादी से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ये खबरें भी पढ़ें …. SC बोला- बाल विवाह जीवनसाथी चुनने का अधिकार छीनता है, इसे पर्सनल लॉ से नहीं रोका जा सकता बाल विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर को फैसला सुनाया। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच 141 पन्नों के फैसले में कहा, हमने बाल विवाह की रोकथाम पर बने कानून (PCMA) के उद्देश्य को देखा और समझा। इसके अंदर बिना किसी नुकसान के सजा देने का प्रावधान है, जो अप्रभावी साबित हुआ। पूरी खबर पढ़ें … SC बोला- बिना रस्मों के हिंदू विवाह मान्य नहीं, ये नाचने-गाने और खाने-पीने का इवेंट नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह कोई नाचने-गाने या खाने-पीने का मौका भर नहीं है। न ये कोई व्यापारिक लेन-देन है। जब तक इसमें रस्में नहीं निभाई जातीं, तब तक इसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वैध नहीं माना जा सकता है। पूरी खबर पढ़ें …

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