पूर्व सेना प्रमुख बोले-भारत और चीन के रिश्ते सुधर रहे:कहा- हमें उम्मीद जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, चीन भी हमारी सद्भावना का जवाब देगा

पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भारत-चीन संबंधों में सुधार होना संयोग की बात है। उम्मीद है कि चीन भी हमारी सद्भावना का जवाब देगा। इसलिए संबंधों को बेहतर बनाने के लिए राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तरों पर कई पहलों की घोषणा की गई है। पूर्व आर्मी चीफ गुरुवार शाम को दिल्ली में एक इवेंट में मौजूद थे। उन्होंने खुशी जताई कि भारत और चीन सीमा विवाद पर चर्चा को आगे बढ़ा रहे हैं। नरवणे ने कहा, ‘यह एक सीमा है, सरहद नहीं, जो बातचीत के लिए खुली होती है और इसमें समझौता संभव है।’ दरअसल, भारत और चीन ने मंगलवार को स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंधों के लिए कई घोषणाएं की थीं। इनमें सीमा पर संयुक्त रूप से शांति बनाए रखना, बॉर्डर ट्रेड दोबारा शुरू करना, इन्वेस्टमेंट को बढ़ाना और जल्दी डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करना शामिल है। चीनी विदेश मंत्री ने भारत की यात्रा की चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार और शुल्क नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका के बिगड़ते रिश्तों के बीच ये मुलाकात अहम मानी जा रही है। नरवणे बोले- भारत-चीन की सभ्यता सदियों पुरानी जनरल नरवणे ने याद दिलाया कि भारत और चीन की सभ्यता सदियों पुरानी हैं। हाल के 60-70 साल मात्र एक छोटा सा हिस्सा हैं। 1962 के युद्ध ने रिश्तों को प्रभावित किया, लेकिन यह उतार-चढ़ाव सामान्य हैं और जल्द निपटारा होना चाहिए। नरवणे ने पीएम मोदी के इंटरव्यू का जिक्र किया नरवणे ने भारत-चीन सीमा विवाद के लिए 2005 में हुए राजनीतिक और मार्गदर्शक सिद्धांतों के समझौते का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई, लेकिन बातचीत फिर से शुरू होना आशा की किरण है। जनरल नरवणे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2024 के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा कि सीमा विवाद को जल्द सुलझाना जरूरी है ताकि दोनों देशों के बीच असामान्यता खत्म हो सके। जनरल नरवणे को दिसंबर 2019 में 28वें सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था और चार दशकों की शानदार और सराहनीय सेवा के बाद अप्रैल 2022 में सेवानिवृत्त हुए। पूर्व आर्मी चीफ ने ऑटोबायोग्राफी में गलवान की कहानी बताई, लिखा- 16 जून 2020 को जिनपिंग भूल नहीं पाएंगे, हमने उनके 40 सैनिक मारे थे नरवणे ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में 2020 में गलवान वैली में भारतीय सेना और चीन की आर्मी के बीच हुई हिंसक झड़प के बारे कई बातें लिखी हैं। इसमें उन्होंने लिखा कि 16 जून, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन है और वे इसे जल्दी नहीं भूल पाएंगे, क्योंकि 2020 में इसी दिन 20 साल में पहली बार चीन और उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सबसे घातक मुठभेड़ का सामना करना पड़ा था। उन्होंने इस किताब में लिखा है कि चीन ने छोटे पड़ोसियों को डराने-धमकाने के लिए वुल्फ वॉरियर कूटनीति और सलामी-स्लाइसिंग रणनीति अपनाई। लेकिन गलवान में भारतीय सेना ने चीन और दुनिया को दिखा दिया कि बस, अब बहुत हो गया। जून 2020 में भारतीय सेना और PLA के बीच हुई इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। लेकिन इससे पहले हमारी सेना ने PLA के भी 40 से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। पूरी खबर पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *