सुप्रीम कोर्ट बोला-सेना की परमानेंट कमीशन पॉलिसी में खामियां:केंद्र सरकार ने कहा- महिला अफसरों के साथ भेदभाव नहीं, चयन प्रक्रिया जेंडर न्यूट्रल

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भारतीय सेना की शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) की 13 महिला अफसरों के आरोपों पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि परमानेंट कमीशन पॉलिसी में कुछ खामियां हैं। जैसे किसी बैच में 80 अंक पाने वाला अफसर बनता है तो दूसरे बैच में 65 अंक पाने वाले को भी मौका मिल सकता है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुइयां और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और जेंडर न्यूट्रल है। भाटी ने कहा कि सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा है। केंद्र अपनी दलीलें गुरुवार 25 सितंबर को भी जारी रखेगा। दरअसल, कोर्ट में कुछ महिला अफसरों ने शिकायत की थी कि उन्हें पुरुष अफसरों की तुलना में परमानेंट कमीशन में कम मौके दिए जा रहे हैं, जबकि उन्होंने कई कठिन ऑपरेशनों जैसे गलवान, बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लिया है। केंद्र ने कहा- हर बैच से 250 अफसरों को स्थायी कमीशन केंद्र ने बताया कि सेना में अभी 8,443 अफसरों की कमी है। सबसे ज्यादा कमी लेफ्टिनेंट से लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक में है। शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में भर्ती कम होने और चयन दर घटने से यह समस्या बढ़ गई है। फिलहाल हर बैच से केवल लगभग 250 अफसरों को स्थायी कमीशन दिया जा रहा है। केंद्र ने साफ किया कि क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट यानी कठिन इलाकों में पोस्टिंग या जिम्मेदारी ही स्थायी कमीशन का एकमात्र आधार नहीं है। यह नियुक्तियां ज्यादातर उच्च पदों जैसे कर्नल, ब्रिगेडियर आदि पर प्रमोशन के समय देखी जाती हैं। महिला अफसर बोलीं- ACR में क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट्स का जिक्र नहीं महिला अफसरों ने दलील दी थी कि हमारी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) को पुरुष अफसरों की तरह नहीं आंका गया। पुरुष अफसरों के क्राइटेरिया अपॉइंटमेंट्स को आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज किया गया, जबकि हमारी पोस्टिंग के बावजूद ACR में इसका जिक्र नहीं किया गया। महिला अफसरों ने बताया अपना योगदान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी हुई 18 सितंबर को सीनियर एडवोकेट वी. मोहना ने बेंच को दलील दी थी कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के 2020 और 2021 के आदेशों को बार-बार अनदेखा किया है। सरकार ने वैकेंसी की कमी का बहाना बनाया, जबकि कई मौकों पर 250 अफसरों की सीमा भी पार हो चुकी है। मामले की बुनियाद 17 फरवरी 2020 के बबीता पुनिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने से इनकार करना असंवैधानिक बताया था। इसके बाद 2021 के निशिता केस में भी अदालत ने समान अवसर देने का आदेश दिया था। ————————————- मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… महिला अफसरों को सेना में परमानेंट जॉब क्यों नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट का सरकार से सवाल दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में महिलाओं को CDS (कम्बाइंड डिफेंस सर्विसेज) परीक्षा के जरिए भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), नौसेना अकादमी (INA) और वायुसेना अकादमी (AFA) में शामिल न करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि महिला अफसरों को सेना में परमानेंट जॉब नहीं मिल रही। यह मामला गंभीर है और केंद्र सरकार को इसका जवाब देना होगा। पूरी खबर पढ़ें…

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