पंजाब के फाइनेंस मंत्री आज दिल्ली में थे। उन्होंने इस दौरान 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनके समक्ष बाढ़ से हुए नुकसान का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि यह बाढ़ काफी घातक है। फसलों, मकानों और बुनियादी ढांचे को 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है, और पंजाब के लिए एक विशेष दीर्घकालीन पुनर्वास पैकेज की जोरदार मांग रखी। वित्त मंत्री ने बताया कि पंजाब के एसडीआरएफ में इस समय कुल 12 हजार 268 करोड़ रुपए की बकाया राशि में से 7 हजार 623 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में हैं। एसडीआरएफ को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कोष (एनडीआरएफ) की तरह ब्याज मुक्त रिजर्व फंड में बदला जाना चाहिए। वित्त आयोग के चेयरमैन ने पंजाब के वित्त मंत्री की इस चिंता को स्वीकार किया और भरोसा दिलाया कि इस विषय पर आयोग के सदस्यों के साथ होने वाली अगली बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर का मामला उठाया वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शत्रु देशों से सटी सीमावर्ती राज्यों को विशेष वित्तीय सहायता देने की ठोस दलील दी। उन्होंने आयोग को बताया कि पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव, विशेषकर इस साल की शुरुआत में “ऑपरेशन सिंदूर” के मद्देनजर, रोजमर्रा की जिंदगी, औद्योगिक गतिविधियों और माल परिवहन में बार-बार व्यवधान आने से सीमावर्ती जिलों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। पंजाब को ड्रोन घुसपैठ, सीमा पार तस्करी और नार्को-आतंकवाद जैसी विशिष्ट सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनसे निपटने के लिए निरंतर और भारी निवेश की आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने चेयरमैन को बताया कि राज्य बीएसएफ के सहयोग से एक प्रभावी दूसरी रक्षा पंक्ति बनाने के लिए बुनियादी ढांचे और पुलिस आधुनिकीकरण में भारी निवेश कर रहा है। उन्होंने पुलिस बलों और कानून-व्यवस्था से जुड़े ढांचे को मजबूत करने के लिए 2 हजार 982 करोड़ रुपए के विशेष सीमा क्षेत्र पैकेज की मांग की, जिसका उल्लेख राज्य ने आयोग को सौंपे अपने ज्ञापन में किया है। उन्होंने कहा कि यह सहायता राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है। बाघा बॉर्डर बंद होने का मामला उठाया वित्त मंत्री चीमा ने सीमावर्ती जिलों के लिए एक विशेष औद्योगिक पैकेज की भी मांग की। उन्होंने कहा कि सीमा तनाव के कारण सीमित औद्योगिक गतिविधियों से ये जिले प्रति व्यक्ति आय में लगातार राज्य की औसत से पीछे रह रहे हैं। वाघा सीमा जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक गलियारा है, के बंद होने से प्रति वर्ष 5 हजार से 8 हजार करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संरचनात्मक घाटे को दूर करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक पुनरुत्थान और रोजगार सृजन हेतु एक विशेष औद्योगिक विकास पैकेज आवश्यक है। पंजाब ने इस पैकेज के लिए कुल 6 हजार करोड़ रुपए की मांग की है, जिसमें औद्योगिक विकास, रख-रखाव और प्रोत्साहन के लिए फंड शामिल हैं। यह पैकेज पड़ोसी क्षेत्रों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को पहले से दिए गए समान पैकेजों के अनुरूप है। जीएसटी के घाटे को उठाया वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इस मौके पर एक प्रमुख सीमावर्ती राज्य के रूप में पंजाब की विशिष्ट स्थिति, हाल की प्राकृतिक आपदाओं और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बदलाव से उत्पन्न संरचनात्मक घाटों के कारण राज्य के वित्त पर पड़े भारी दबाव का विस्तार से उल्लेख किया। वित्त मंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन कोष (एसडीआरएफ) के नियमों में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि मौजूदा एसडीआरएफ नियम अत्यधिक प्रतिबंधात्मक और कठोर साबित हुए हैं, जो समय पर और पर्याप्त राहत प्रदान करने की राज्य सरकार की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य-विशिष्ट आपदाओं के लिए लचीले नियम शामिल करने हेतु इन दिशा-निर्देशों की व्यापक समीक्षा आवश्यक है।
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