पुलिस ने पहले हमारे रिश्तेदार टेलर मोहम्मद शफी को सुबह बुलाया था। फिर शाम को भी बुलाया था। पुलिस के बुलाने पर वो चले गए थे। रात में हमने जोरदार धमाके की आवाज सुनी। हमें नहीं पता था कि वो उसी थाने में अंदर थे। हम लोग घायलों की मदद करने लगे थे। हमें पुलिस स्टेशन से 300 से 600 मीटर दूर तक बॉडी पार्ट्स मिले। तभी हमें पता चला कि टेलर मोहम्मद शफी की भी जान चली गई है। उसके घर में अब कोई कमाने वाला नहीं रहा। ये कहना है 14 नवंबर की रात करीब 11:22 बजे श्रीनगर के नौगाम थाने में हुए ब्लास्ट में मारे गए शफी के रिश्तेदार का। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हैं। इनका 92 आर्मी बेस और SKIMS सौरा हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने कहा कि ये एक हादसा था। विस्फोटक से सैंपलिंग के दौरान ब्लास्ट हुआ। मारे गए 9 लोगों में से एक इंस्पेक्टर, 3 फोरेंसिक टीम मेंबर, 2 क्राइम ब्रांच फोटोग्राफर, 2 राजस्व अधिकारी और एक दर्जी शामिल हैं। दैनिक भास्कर ने नौगाम पुलिस स्टेशन के आसपास प्रभावित लोगों से बात की। उनकी जानकारी के अनुसार यहां हुआ धमाका दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके जैसा था। इसकी आवाज श्रीनगर से लेकर बड़गाम तक सुनाई दी। जैसे दिल्ली में शॉक वेव से 300-400 मीटर तक नुकसान हुआ था, वैसे ही नौगाम ब्लास्ट में भी दूर तक घरों को नुकसान पहुंचा। किसी की खोपड़ी गिरी थी, शरीर के टुकड़े बिखरे थे- प्रत्यक्षदर्शी नौगाम थाने के पास ही रहने वाली एक महिला ने हमें कैमरे पर बताया कि हम तो उस समय सोए हुए थे। तभी अचानक तेज धमाका हुआ। पुलिस स्टेशन में। हमारा तो घर ही गिर गया। पूरा घर डैमेज हो गया। हम बच्चों को लेकर तुरंत घर से बाहर भागे। बाहर कहीं किसी की खोपड़ी गिरी थी। किसी के शरीर के टुकड़े बिखरे थे। हमने देखा है कि ह्यूमन बॉडी बिखरी हुई थीं। ‘पहले लगा एयर ब्लास्ट हुआ, फिर देखा तो घर की खिड़कियां, शीशे, दरवाजे तक टूट गए’ पुलिस स्टेशन के पास रहने वाले जुनैद कहते हैं- मैं इसी कॉलोनी में रहता हूं। रात में 11 बजकर 20 मिनट पर ब्लास्ट हुआ। सब लोग घबरा गए। उस समय लगा कि कोई एयर ब्लास्ट तो नहीं हुआ। जब अपनी आंखों से देखा तो पता चला कि पास में धमाका हुआ। खिड़कियां टूट गईं। दरवाजे टूट गए। बच्चे घबरा गए। बुजुर्ग घबरा गए थे। हम सब बाहर निकले। सबसे ज्यादा डैमेज पुलिस स्टेशन को हुआ है। एक दर्जी थे। उनकी भी डेथ हुई है। कई लोग घायल थे। हम लोग घायलों की जान बचाने में जुट गए। ‘फोटोग्राफर अर्शीद अहमद के घर में अब कोई कमाने वाला नहीं’ नौगाम पुलिस थाने में हुए धमाके से पहले वहां की फोटोग्राफी करने के लिए अर्शीद अहमद शाह गए थे। धमाके में उनकी भी मौत हो गई। परिवार के लोगों का कहना है- काफी पहले अर्शीद के बड़े भाई की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। उसके बाद से अर्शीद ही घर का खर्चा उठा रहा था। वो घर का इकलौता कमाने वाला था। हमें आज उसकी मौत की खबर मिली और पूरा परिवार सदमे में है। अर्शीद के दो बच्चे भी हैं। पिता को हार्ट की बीमारी है। थाने में कैसे हुआ धमाका, बना सस्पेंस, दैनिक भास्कर की एक्सपर्ट से बातचीत जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने शनिवार को कहा कि ये एक हादसा था। विस्फोटक से सैंपलिंग के दौरान ब्लास्ट हुआ, लेकिन सवाल है कि सैंपलिंग के दौरान विस्फोट कैसे हुआ। इस पर हमने दिल्ली एम्स के पूर्व फोरेंसिक डायरेक्टर डॉ. टीडी डोगरा से बात की। वो कहते हैं- अकेले अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट नहीं हो सकता है, जिस तरह से दिल्ली और श्रीनगर में धमाके हुए। उनमें विस्फोटक एक समान होने की आशंका है क्योंकि दोनों में तीव्रता एक जैसी ही देखने को मिली है, लेकिन एक्सप्लोसिव मटेरियल में धमाका कैसे हुआ। बिना डेटोनेटर और फ्यूज से ये धमाका नहीं हो सकता है। सवाल- क्या माचिस या सिगरेट की आग से ऐसा एक्सीडेंटल धमाका हो सकता है। इस आग से विस्फोटक सामग्री में धमाका हो सकता है? जवाब- नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है। माचिस जलाने या गलती से सिगरेट या ऐसी आग से ब्लास्ट नहीं हो सकता है। जब तक कि कोई कारतूस जैसा कोई डेटोनेटर का इस्तेमाल नहीं किया जाए। सवाल- जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब फरीदाबाद में 358 किलो विस्फोटक बरामद किया था तब डेटोनेटर और धमाके कराने वाले उपकरण मिले थे। तो क्या अगर वो आसपास रहे तो धमाका हो सकता है? जवाब- विस्फोटक सामग्री को ट्रिगर करने के लिए डेटोनेटर का होना जरूरी है। अब ये गलती कैसे हुई। कैसे कनेक्ट हुआ। ये जांच एजेंसियां ही स्पष्ट कर सकती हैं। फरीदाबाद से टाटा-407 पिकअप ट्रक में नौगाम लाए गए थे विस्फोटक जम्मू-कश्मीर के नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट में इस्तेमाल विस्फोटकों का जखीरा हरियाणा के फरीदाबाद से एक टाटा 407 पिकअप ट्रक में छोटे-छोटे बैगों में भरकर लाया गया था। शुक्रवार रात जब इसमें धमाका हुआ, तब उस समय एक्सपर्ट उसकी सैंपलिंग करते हुए जांच कर रहे थे। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विस्फोटकों को 9-10 नवंबर को छापेमारी के दौरान फरीदाबाद से जब्त किया गया था। उसे बाद में पूरे प्रोटोकॉल का पालन करते हुए छोटे-छोटे बैगों में एक टाटा 407 वाहन में कश्मीर पहुंचाया गया। विस्फोटकों को नौगाम ले जाने के कारण के बारे में अधिकारी ने कहा कि चूंकि 19-20 अक्टूबर को नौगाम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ था। इसलिए फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक उस केस प्रॉपर्टी से जुड़ा था। लिहाजा उसे जब्त कर थाने लाया गया था। बड़ी लापरवाही- MHA की SOP का नहीं हुआ पालन नौगाम थाने में हुए धमाके को लेकर बड़ा सवाल उठता है कि आखिर विस्फोटक को थाने में क्यों रखा गया। जब उसी तरह के विस्फोटक से 10 नवंबर को दिल्ली में धमाक हुआ तो उसके बाद भी नौगाम थाने से उसे दूर क्यों नहीं किया गया। जबकि नौगाम थाने के आसपास पूरा आबादी वाला एरिया है। इसे समझने के लिए हमने यूपी के DGP रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह से बात की। वह कहते हैं- ये बड़ी लापरवाही है। जिस विस्फोटक को बरामद किया गया। उसी तरह के विस्फोट से दिल्ली में धमाका हुआ। उसे किसी भी कीमत पर थाने में भी रखना नहीं चाहिए था। इसके लिए कोई हाल में गाइडलाइन जारी हुई है। इसकी पड़ताल करने पर हमें गृह मंत्रालय की तरफ से जारी 25 अप्रैल 2025 का एक SOP लेटर मिला। उस लेटर में भी माना गया है कि न कोई स्टेट पुलिस और न ही जांच एजेंसियां और सिक्योरिटी फोर्सेस विस्फोटक और मादक पदार्थों की हैंडलिंग और उसके डिस्पोजल के लिए कोई एक समान प्रक्रिया को अपना रही हैं। इसलिए इस पर ध्यान दिया जाए जिससे कोई नुकसान नहीं हो। —————————————- ये खबर भी पढ़ें… श्रीनगर थाने में फरीदाबाद से जब्त अमोनियम नाइट्रेट में ब्लास्ट, 9 लोगों की मौत, 32 घायल जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार रात करीब 11:22 बजे बड़ा धमाका हुआ। 9 लोगों की मौत हो गई है, 32 लोग घायल हैं। इनका 92 आर्मी बेस और SKIMS सौरा हॉस्पिटल में इलाज जारी है। अधिकारियों के मुताबिक, ब्लास्ट उस समय हुआ जब पुलिस व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल मामले में जब्त विस्फोटक के सैंपल ले रही थी। पूरी खबर पढ़ें…
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