दिल्ली ब्लास्ट मामले में इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एक बड़े अंतरराज्यीय आतंकी नेटवर्क, हैंडलर्स की चेन और कई को-ऑर्डिनेटेड हमलों की तैयारी का खुलासा किया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया मॉड्यूल का हर आरोपी एक अलग हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था। मुजम्मिल का हैंडलर अलग था, जबकि ब्लास्ट करने वाला उमर दूसरे हैंडलर को रिपोर्ट कर रहा था। दो खास हैंडलर मंसूर और हाशिम एक सीनियर हैंडलर इब्राहिम के अंडर काम कर रहे थे, जो मॉड्यूल की पूरी एक्टिविटीज को सुपरवाइज कर रहा था। ये सभी हैंडलर लेयर्स में काम कर रहे थे। उधर,जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने शनिवार को ‘ टेरर मॉड्यूल’ केस में श्रीनगर से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान शहर के बटमालू इलाके के निवासी तुफेल नियाज भट के रूप में हुई है। नियाज भट इलेक्ट्रिशियन के रूप में काम करता था। GMC श्रीनगर में MBBS की पढ़ाई करते समय उमर और नियाज बटमालू में एक ही जगह किराएदार के तौर पर रहते थे। नियाज ने डॉ. अदील अहमद राथर के लिए 6.5 लाख में AK-47 राइफल खरीदी थी। यही राइफल 8 नवंबर को दिल्ली ब्लास्ट से दो दिन पहले अनंतनाग में डॉक्टर के लॉकर रूम से बरामद हुई थी। दिल्ली ब्लास्ट पर खुफिया एजेंसियों के खुलासे अल-फलाह की लैब से केमिकल्स बाहर ले जाने का शक अल-फलाह यूनिवर्सिटी की केमिस्ट्री लैब में ग्लासवेयर एंट्री, कंज्यूमेबल रिकॉर्ड और केमिकल उठान का डेटा आपस में मेल नहीं खा रहा है। जांच एजेंसियों को शक है कि यह सब सामान बार-बार छोटे बैचों में लैब से बाहर ले जाया गया और इसे शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर छिपाया गया। दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक कुछ ग्लासवेयर की एंट्री तो दर्ज है, लेकिन न खपत दिखी, न टूट-फूट का रिकॉर्ड मिला। यह भी संदेह है कि जिन छोटे कंटेनरों और कांच के बर्तनों को बाहर ले जाया गया, वे वैज्ञानिक तरीके से विस्फोटक तैयार करने के लिए जरूरी उपकरण हैं और सटीक मिश्रण और स्टेबलाइजेशन टेस्टिंग में काम आते हैं। NIA ने अब इसी संदर्भ में डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. अदील को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ शुरू कर दी है। एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि लैब से निकलने वाले रसायन चुनता कौन था? और ब्लेंडिंग/मिक्सिंग की वैज्ञानिक प्रक्रिया किसने डिजाइन की? एजेंसियों का मानना है कि ये लोग किसी ‘हाई-इंटेलेक्ट साइंटिफिक नेटवर्क’ का हिस्सा हो सकते हैं, जो व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल की तरह काम कर रहा था। NIA ने अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया
मैप से समझिए धमाके की लोकेशन
हमास जैसे हमलों की कोशिश में था जैश सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी मॉड्यूल कश्मीर के अस्पतालों को हथियारों का ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहा था। यह तरीका हमास की रणनीति से मिलता-जुलता है, जो नागरिक इलाकों और अस्पतालों को हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करता है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि इस मॉड्यूल ने कितने अस्पतालों को ठिकाना बनाने की कोशिश की और हथियारों की सप्लाई चेन कहां तक फैली हुई थी। दिल्ली ब्लास्ट के बाद से ही NIA और स्थानीय पुलिस इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने में लगी है। पढ़ें पूरी खबर… ……………………………
दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… अल फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लोग लापता: दिल्ली ब्लास्ट सेल से जुड़े होने का शक; आतंकी उमर सुसाइड बॉम्बर तैयार कर रहा था दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 10 लोग लापता हैं। एजेंसी को शक है कि ये सभी ब्लास्ट में शामिल हो सकते हैं, जो ग्राउंड वर्कर का काम कर रहे थे।जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि लाल किले के सामने विस्फोटक से भरी कार उड़ाने वाला आतंकी डॉ. उमर नबी अपने जैसे कई और सुसाइडल बॉम्बर तैयार करने की साजिश रच रहा था। पूरी खबर पढ़ें…