3 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा की तैयारी के लिए बुधवार को बालटाल बेस कैंप में सुरक्षा बलों ने मॉक ड्रिल की। जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, NDRF, SDRF, 49 बटालियन CRPF, सेना, स्वास्थ्य विभाग और फायर बिग्रेड समेत कई एजेंसियों ने हिस्सा लिया। ये सभी संभावित आतंकी हमलों, प्राकृतिक आपदाओं के आने पर तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने की तैयारियों की जांच कर रहे थे। इधर, इस साल अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने यात्रा रूट के जंगलों में बने ढोक (झोपड़ियों) की प्रोफाइलिंग व जियो टैगिंग शुरू की है। वन विभाग पुलिस वैरिफिकेशन के बिना यात्रा रूट पर अब किसी ढोक को बनाने की परमिशन नहीं देगा। संदिग्ध ढोकों पर यूएवी सर्विलांस, मोबाइल जैमर तथा एआई-सक्षम ट्रैकिंग लागू की जा रही है। गौरतलब है कि अमरनाथ यात्रा में 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को देखते कई नए इंतेजाम किए जा रहे हैं। मॉक ड्रिल से जुड़ी तस्वीरें… 2025 अमरनाथ यात्रा के लिए इस बार हो रहे विशेष इंतजाम कैसे पहुंचें: यात्रा के लिए दो रूट 1. पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है। 2. बालटाल रूट: वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं। किन बातों का ध्यान रखें… यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बैग अपने साथ रखें। अमरनाथ में बनता है हिमानी शिवलिंग अमरनाथ शिवलिंग एक अद्भुत प्राकृतिक हिमनिर्मित संरचना है, जिसे हिमानी शिवलिंग कहा जाता है। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा उत्तरमुखी है, जिससे सूरज की सीधी रोशनी बहुत कम पहुंचती है। इससे गुफा के अंदर का तापमान 0°C से नीचे बना रहता है, जिससे बर्फ आसानी से जमती है। गुफा की छत से लगातार पानी टपकता है, जो आस-पास के ग्लेशियरों या बर्फ के पिघलने से आता है। पानी धीरे-धीरे नीचे गिरकर जमता है, तो वह एक स्तंभ या लिंग के आकार में ऊपर की ओर बढ़ता है। यह वैज्ञानिक रूप से स्टेलैग्माइट कहलाता है।
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