उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर दून यूनिवर्सिटी में आयोजित प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। देश के 11 राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। दिल्ली के डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट और राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत भी मौजूद रहे। सम्मेलन में कुल 290 से अधिक प्रवासियों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से करीब 200 प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में पहुंचे। इनमें राजनीति, कला जगत और बड़े ब्यूरोक्रेट शामिल थे। प्रवासी उत्तराखंडवासियों ने राज्य के 25 साल के विकास सफर पर खुशी जाहिर की और अपने अनुभव साझा किए। कई प्रवासी अपने गांवों को गोद लेकर विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी देने की प्रतिबद्धता भी लेकर आए। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य के प्रवासी उत्तराखंडी देश-विदेश में उत्तराखंड का मान-सम्मान बढ़ाने वाले सच्चे ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने प्रवासियों के योगदान और संसाधनों से प्रदेश के विकास में बढ़ती भागीदारी पर जोर दिया। कार्यक्रम से जुड़ी कुछ PHOTOS देखें…. अब पढ़िए कार्यक्रम में सीएम की 4 बड़ी बातें… जल-जमीन-जंगल पर केंद्रित रहा पहले सेशन प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का पहला सेशन “जल, जंगल और जमीन” पर केंद्रित रहा। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि विकास के साथ पर्यावरण की प्रगति को भी GDP का पैमाना बनाया जाना चाहिए। डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की असली पहचान उसके प्राकृतिक संसाधनों में है, इसलिए विकास और इकोलॉजिकल बैलेंस साथ-साथ चलना जरूरी है। डॉ. कपिल जोशी ने आंकड़ों के जरिए बताया कि तापमान और बारिश में असंतुलन बढ़ रहा है जो की ठीक नहीं है। वहीं, नीना ग्रेवाल ने कहा कि संसाधनों का यूज जरूरत के अनुसार ही हो और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाए। वहीं नितिन गुप्ता ने कहा कि ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग से पर्यावरणीय चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकता है। दो सेशनों में हुआ सम्मेलन दूसरे सेशन में पर्यावरण और हिल टूरिज्म पर बात हुई। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री धामी ने की। राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत, दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, फिल्म अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी और विधायक विनोद चमोली ने भी इस अवसर पर मंच से अपने विचार साझा किए। पूर्व सीएम बोले- हमारी विरासत ईमानदारी और परिश्रम कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि उत्तराखंड की विरासत ईमानदारी और परिश्रम में निहित है। यही कारण है कि उत्तराखंडी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा और कर्मठता से कार्य करते हैं। कोश्यारी ने कहा कि सभी प्रवासी अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे और राज्य के विकास में योगदान देंगे। वहीं, इस दौरान धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि उत्तराखंड की हस्तियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों से अपील की कि वे राज्य के विकास में अपने क्षेत्रीय कौशल के अनुसार योगदान दें।
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