मोदी बोले-कानूनी भाषा ऐसी हो जिसे आम लोग समझ सकें:​​​​जस्टिस विक्रमनाथ ने कहा- जेलों में 70% ऐसे कैदी, जो अब तक दोषी नहीं हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कानून की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि आम लोग उसे समझ सकें। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को, चाहे वह गरीब हो या अमीर, न्याय आसानी से मिलना चाहिए। मोदी ने बताया कि सरकार ने गरीबों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए लीगल एड डिफेंस सिस्टम शुरू किया है, जिससे उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता मिल रही है। अगर न्याय हर व्यक्ति तक पहुंचेगा, तभी सच्चा सामाजिक न्याय हो सकता है। जस्टिस विक्रमनाथ ने कहा कि भारत की जेलों में 70 प्रतिशत कैदी ऐसे हैं जिन्हें कोर्ट ने अभी तक दोषी नहीं ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति बहुत गंभीर है और इसके लिए कानूनी सहायता और विचाराधीन कैदियों की हिरासत की प्रक्रिया में तुरंत सुधार की जरूरत है। हैदराबाद की NALSAR यूनिवर्सिटी में उन्होंने कहा- कई लोग इसलिए जेल में हैं क्योंकि व्यवस्था से उन्हें न्याय नहीं मिला। कुछ कैदी उस अपराध की अधिकतम सजा से भी ज्यादा समय जेल में काट चुके हैं, जबकि उनका मुकदमा अभी तक पूरा नहीं हुआ। कुछ लोग इसलिए जेल में हैं क्योंकि वे जमानत नहीं ले पाए। कई लोगों की समय पर सुनवाई होती तो वे आजाद हो सकते थे लेकिन वे अब भी जेल में बंद हैं । पीएम मोदी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) सम्मेलन में पहुंचे थे। कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और अन्य कई जज मौजूद थे। पीएम बोले- लोग अपनी भाषा में कानून को समझते हैं पीएम ने बताया कि सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है जिससे लोगों को न्याय आसानी से मिल सके और आने वाले समय में यह प्रक्रिया और तेज की जाएगी। उन्होंने कहा कि न्याय की सुगमता यानी ईज ऑफ जस्टिस (सामाजिक न्याय) की दिशा में एक बड़ा कदम है। मोदी ने बताया कि जब लोग अपने ही भाषा में कानून को समझते हैं, तो वे उसका पालन बेहतर तरीके से करते हैं और झगड़े भी कम होते हैं। जब न्याय सभी के लिए सुलभ होता है और हर व्यक्ति तक समय पर पहुंचता है, तभी यह सामाजिक न्याय की नींव बनता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कानूनी सहायता यानी बहुत जरूरी है ताकि हर व्यक्ति तक न्याय पहुंच सके। टेक्नोलॉजी अब न्याय प्रणाली को आधुनिकता से जोड़ रही है। उन्होंने ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट की तारीफ की और कहा कि इससे न्याय की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हुई है। मोदी बोले- नए मेडिएशन एक्ट से झगड़े सुलझे पीएम ने सामुदायिक मध्यस्थता पर एक नया प्रशिक्षण मॉड्यूल शुरू किया। उन्होंने कहा- भारत में झगड़ों को आपसी समझौते से सुलझाने की परंपरा बहुत पुरानी है। नया मेडिएशन एक्ट इसी परंपरा को आधुनिक रूप दे रहा है। इससे लोगों को झगड़े सुलझाने और समाज में सद्भाव बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि लोक अदालतों और पूर्व-मुकदमा सुलह प्रणाली के जरिए लाखों मामले तेजी से और कम खर्च में निपटाए जा रहे हैं। सरकार की लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम योजना के तहत पिछले तीन साल में आठ लाख से ज्यादा आपराधिक मामलों का समाधान किया गया है। इससे गरीबों को बहुत मदद मिली है। गवई बोले- सफलता का पैमाना आम आदमी का भरोसा सीजेआई बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सफलता का असली पैमाना आंकड़े नहीं, बल्कि आम आदमी का भरोसा है। जस्टिस सूर्यकांत बोले- टेक्नोलॉजी जरूरी है जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कानूनी मदद को और आसान बनाया जाएगा। टेक्नोलॉजी जरूरी है ताकि दूर बैठे लोगों तक कानूनी क्लिनिक, ऑनलाइन सुलह और डिजिटल शिकायत जैसी सुविधाएं पहुंच सकें। लोगों की स्थानीय भाषा और जरूरतों को समझना भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि सुलह समितियों और मध्यस्थता से लाखों लोग लंबे मुकदमों से बचे हैं, पीड़ितों को मुआवजा मिला है और कई विवाद जल्दी सुलझे हैं। जेलों में अब पुनर्वास पर ध्यान है, सैनिक परिवारों के लिए योजनाएं हैं, मध्यस्थता को बढ़ावा दिया जा रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने भारतीय महिला प्रेस कोर के 31वें सालगिरह कार्यक्रम में कहा कि महिला पत्रकार अपनी लगातार और निष्पक्ष रिपोर्टिंग से मीडिया का चेहरा बदल रही हैं और समाज में असरदार बदलाव ला रही हैं। उन्होंने महिला पत्रकारों की तारीफ की, क्योंकि वे सामाजिक अन्याय, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और नीतियों की कमियों जैसे मुद्दों को सबसे पहले सामने लाती हैं। NALSA के बारे में जानें… NALSA की स्थापना 1987 में लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के तहत 1995 में की गई थी ताकि गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता मिल सके और झगड़े आपसी सहमति से सुलझाए जा सकें। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसके प्रमुख होते हैं और दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश इसके कार्यकारी अध्यक्ष होते हैं। हर राज्य में भी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बनाया गया है जो एनएएलएसए की नीतियों को लागू करता है और लोक अदालतों का आयोजन करता है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 39(ए) कहता है कि हर व्यक्ति को समान अवसर के साथ न्याय मिलना चाहिए और कोई भी व्यक्ति आर्थिक कमजोरी या अन्य कारणों से न्याय पाने से वंचित न रहे। अनुच्छेद 14 और 22(1) भी यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी नागरिक कानून के सामने समान हों और सबको न्याय पाने का समान अवसर मिले।
——————————— ये खबर भी पढ़ें…. मोदी बोले- संविधान ने आपातकाल देखा और इसका सामना किया: ये इसकी ताकत पीएम ने अपने संबोधन में कहा- हमने देश में आपातकाल देखा है। हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का सामना किया है। ये संविधान की ही ताकत है कि आज जम्मू-कश्मीर में बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान पूरी तरह से लागू हो रहा है। आज पहली बार जम्मू-कश्मीर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *